अमेरिकी राष्ट्रपति ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि यूएस फिर से परमाणु परीक्षण शुरू कर सकता है। इसी पर अब पुतिन ने एक ठोस कदम उठाया है। उन्होंने अपने रक्षा मंत्रायल के अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की संभावनाओं पर प्रस्ताव तैयार करें। ऐसे में दोनों महाशक्तियों के बीच यह बयानबाजी वैश्विक सुरक्षा को लेकर चिंता भी बढ़ा रही है।
पुतिन ने बुधवार को अपने सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि रूस केवल तभी परमाणु परीक्षण शुरू करेगा जब अमेरिका पहले ऐसा कदम उठाएगा। हालांकि, उन्होंने रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को अमेरिकी इरादों का विश्लेषण करने और रूस की संभावित तैयारी को लेकर ठोस प्रस्ताव तैयार करने का आदेश दिया। पुतिन ने कहा कि मॉस्को अपने सुरक्षा हितों की अनदेखी नहीं करेगा और हर स्थिति के लिए तैयार रहेगा।
अमेरिकी ऊर्जा मंत्री का स्पष्टीकरण
30 अक्तूबर को ट्रंप ने संकेत दिया था कि अमेरिका बराबरी के आधार पर रूस और चीन की तरह अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण फिर से शुरू कर सकता है। यह बयान उन्होंने दक्षिण कोरिया में रहते हुए सोशल मीडिया पर दिया। ट्रंप के बयान ने रूस, चीन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता पैदा कर दी। हालांकि अमेरिकी ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट ने बाद में स्पष्ट किया कि नए परीक्षणों में न्यूक्लियर विस्फोट शामिल नहीं होंगे। हालिया परीक्षणों से बढ़ी प्रतिस्पर्धा
पुतिन ने हाल ही में परमाणु-संचालित और परमाणु-सक्षम क्रूज मिसाइल और पानी के भीतर चलने वाले ड्रोन के सफल परीक्षण की घोषणा की थी। वहीं, अमेरिका भी नियमित रूप से परमाणु-सक्षम हथियारों का परीक्षण करता रहा है, लेकिन उसने 1992 के बाद से कोई वास्तविक परमाणु विस्फोट नहीं किया। दोनों देशों के हालिया कदमों ने परमाणु संतुलन को लेकर तनाव और बढ़ा दिया है।
वैश्विक परमाणु प्रतिबंध संधि पर सवाल
अमेरिका ने 1996 में कम्प्रिहेंसिव न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी पर हस्ताक्षर तो किए थे, लेकिन इसे कभी संसद से मंजूरी नहीं दिलाई। इसके बावजूद सभी परमाणु-संपन्न देशों ने इस संधि का पालन किया है। केवल उत्तर कोरिया ही इसका उल्लंघन करता रहा है। अब ट्रंप और पुतिन की इस नई परमाणु बयानबाजी से यह संधि खतरे में पड़ सकती है, जिससे वैश्विक शांति व्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है।