मध्य प्रदेश प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोमवार को भोपाल स्थित पार्टी मुख्यालय में पत्रकार वार्ता कर राज्य की शिक्षा व्यवस्था और बच्चों के पोषण को लेकर मोहन यादव सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बीते सात वर्षों में प्रदेश में 56 लाख बच्चे शिक्षा व्यवस्था से बाहर हो गए, जबकि स्कूल शिक्षा का बजट 7,000 करोड़ से बढ़कर 37,000 करोड़ तक पहुंच गया है
मध्य प्रदेश की जमीनी सच्चाई सामने रख दी
पटवारी ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने खुद मध्य प्रदेश की जमीनी सच्चाई सामने रख दी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 50 लाख से अधिक बच्चों ने फल तक का नाम नहीं सुना, जो सरकारी दावों की विफलता को दर्शाता है।
मिड-डे मील केवल कागजों में
उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील केवल कागजों में दिखाई देता है और बच्चों को पर्याप्त भोजन, किताबें और शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं। सरकार बच्चों के पोषण पर प्रतिदिन 12 रुपये खर्च दिखाती है, जबकि गायों के चारे पर 40 रुपये प्रतिदिन खर्च का प्रावधान है।
14 हजार से अधिक स्कूलों में केवल एक शिक्षक
सात साल में 56 लाख बच्चे स्कूलों से लापता
पटवारी ने कहा कि सरकारी UDISE+ आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017-18 में कक्षा 1 से 12 तक कुल नामांकन 1 करोड़ 60 लाख था, जो 2024-25 में घटकर 1 करोड़ 04 लाख रह गया। इस तरह सात साल में 56 लाख बच्चे स्कूलों से लापता हो गए। पटवारी ने कहा कि प्रदेश में 1,400 से अधिक स्कूलों में केवल एक शिक्षक, 10,000 से ज्यादा स्कूल बिना प्रिंसिपल चल रहे हैं और 25 प्रतिशत स्कूलों में विज्ञान व गणित के शिक्षक नहीं हैं। इसके बावजूद सरकार बड़े बजट का दावा कर रही है।
अतिरिक्त बजट आखिर कहां गया
उन्होंने पूछा कि 30,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट आखिर कहां गया और मिड-डे मील, टेंडर व आउटसोर्सिंग में हुए कथित घोटालों की निष्पक्ष जांच की मांग की। अंत में जीतू पटवारी ने कहा कि यह राजनीति नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के 56 लाख बच्चों के भविष्य का सवाल है और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को केंद्रीय मंत्री के बयान के बाद प्रदेश की जनता को जवाब देना चाहिए।