MP News: मंडी बोर्ड के 1500 करोड़ कर्ज का विरोध,कर्मचारी आए सामने,29 अक्टूबर को भोपाल मुख्यालय का करेंगे घेराव

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Sat, 25 Oct 2025 02:58 PM IST

29 अक्टूबर को प्रदेश की सभी मंडियों को बंद रखने और भोपाल में मंडी बोर्ड मुख्यालय का घेराव करने की घोषणा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने की है। मंडी बोर्ड द्वारा 1500 करोड़ रुपये का ऋण लेने के आदेश के खिलाफ कर्मचारियों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी बोर्ड को भावांतर भुगतान योजना के लिए 1500 करोड़ रुपये का ऋण लेने के आदेश के विरोध में संयुक्त संघर्ष मोर्चा खुलकर सामने आ गया है। 29 अक्टूबर को प्रदेश की सभी मंडियों को बंद रखने और भोपाल में मंडी बोर्ड मुख्यालय का घेराव करने की घोषणा की है। संयुक्त संघर्ष मोर्चा का कहना है कि मंडी बोर्ड की आर्थिक स्थिति इतनी बड़ी राशि का ऋण लेने की अनुमति नहीं देती, फिर भी कृषि विभाग ने जबरन इस पर दबाव बनाया है।

मुख्यमंत्री से की थी मांग, फिर भी हुआ आदेश जारी
संयुक्त संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नैनसिंह सोलंकी ने बताया कि मोर्चा ने 17 अक्टूबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को ज्ञापन सौंपकर अनुरोध किया था कि भावांतर योजना के तहत सोयाबीन के भुगतान के लिए 1500 करोड़ रुपये की व्यवस्था शासन स्तर पर की जाए, क्योंकि मंडी बोर्ड ऋण लेने की स्थिति में नहीं है। कृषि मंत्री ने भी 15 अक्टूबर 2025 को अपनी नोटशीट में उल्लेख किया था कि मंडी बोर्ड किसी प्रकार का ऋण नहीं लेगा। इसके बावजूद, कृषि विभाग ने 19 अक्टूबर को पत्र क्रमांक 3264 के माध्यम से मंडी बोर्ड को ऋण लेने का आदेश जारी कर दिया।
कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर भी संकट
संयोजक बीबी. फौजदार ने बताया कि राज्य की 259 मंडी समितियों में कार्यरत कर्मचारियों के नियमित वेतन और पेंशन की व्यवस्था को लेकर वर्ष 2020 में भी आंदोलन किया गया था। आंदोलन के बाद शासन को प्रस्ताव भेजा गया था कि इन कर्मचारियों को मंडी बोर्ड में समाहित किया जाए, लेकिन वह प्रस्ताव अब तक लंबित है। इस वजह से प्रदेश की लगभग 70 मंडियों में कर्मचारियों को नियमित वेतन और पेंशन नहीं मिल पा रही है, जिससे उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।                                                                              कृषि अधिनियम में ऋण लेने का प्रावधान ही नहीं
संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा भावांतर योजना का प्रचार तो बड़े पैमाने पर किया गया, लेकिन इसका क्रियान्वयन धरातल पर असंतोषजनक है। योजना के सभी कार्य मंडी समितियों और मंडी बोर्ड पर थोपे जा रहे हैं। मोर्चा के पदाधिकारियों ने कहा कि कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 में मंडी बोर्ड द्वारा ऋण लेने या किसी वित्तीय योजना के संचालन का प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद शासन द्वारा दबाव बनाकर यह कार्य कराया जा रहा है, जो पूर्णतः अनुचित और कानूनविरुद्ध है।
29 को प्रदेशभर में मंडियां रहेंगी बंद
मोर्चा ने चेतावनी दी है कि यदि शासन ने यह आदेश वापस नहीं लिया, तो 29 अक्टूबर को प्रदेशभर की मंडियां बंद रहेंगी और सभी अधिकारी-कर्मचारी भोपाल पहुंचकर मंडी बोर्ड मुख्यालय का घेराव करेंगे। संयोजक बीबी. फौजदार, अध्यक्ष नैनसिंह सोलंकी, प्रांतीय अध्यक्ष बीरेन्द्र कुमार नरवरिया और संतोष सिंह दीक्षित सहित अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि यदि दबावपूर्वक ऋण लेने की कार्रवाई की गई, तो संयुक्त संघर्ष मोर्चा अनिश्चितकालीन हड़ताल करने पर भी विवश होगा।

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