NITI Aayog is preparing a new plan for the development of 14 districts of MP- Demo Pic
G-Hub - मध्यप्रदेश में आर्थिक प्रगति को नई दिशा देने के उद्देश्य से बड़ी पहल की जा रही है। प्रदेश में प्रस्तावित इंदौर और भोपाल आर्थिक क्षेत्रों के लिए समग्र मास्टर प्लान बनाया जा रहा है। इन दोनों आर्थिक क्षेत्रों में प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा जिले शामिल किए गए हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने नीति आयोग के साथ संयुक्त रूप से यह महत्वाकांक्षी पहल की है। इंदौर और भोपाल आर्थिक क्षेत्रों के लिए समग्र आर्थिक मास्टर प्लान बनाने को व्यापक और दीर्घकालिक आर्थिक विकास की रणनीति तैयार करने की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है।
प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन की अध्यक्षता में शुक्रवार को मंत्रालय में इस संबंध में अहम बैठक हुई। बैठक में ‘ग्रोथ हब (G-Hub)’ पहल का औपचारिक शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर नीति आयोग के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर एना रॉय ने किया।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा कि सुविचारित आर्थिक योजना से न केवल इन क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था सशक्त होगी बल्कि अनियंत्रित शहरी विकास पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा। सुश्री एना रॉय ने बताया कि इंदौर और भोपाल आर्थिक क्षेत्रों के लिए समग्र आर्थिक मास्टर प्लान अगले वित्त वर्ष के प्रारंभ तक तैयार करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग इस दिशा में राज्य सरकार को पूरा सहयोग देगा
‘ग्रोथ हब’ पहल के प्रथम चरण में इंदौर और भोपाल आर्थिक क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इनमें प्रदेश के 14 जिले शामिल हैं। इंदौर आर्थिक क्षेत्र के अंतर्गत इंदौर, उज्जैन, देवास, धार, खरगोन, रतलाम, शाजापुर, खंडवा जिले सम्मिलित किए गए हैं। भोपाल आर्थिक क्षेत्र भोपाल, राजगढ़, विदिशा, रायसेन, सीहोर, नर्मदापुरम जिले शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि दूसरे चरण में जबलपुर, सतना-रीवा, सागर और ग्वालियर क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगा। इन आर्थिक क्षेत्रों के लिए आर्थिक प्रोफाइल, प्रोजेक्ट लिस्ट और क्रियान्वयन रोडमैप तैयार किया जाएगा।
नीति आयोग ने बैठक में G-Hub पहल का संक्षिप्त प्रस्तुतिकरण किया। संबंधित जिलों ने अपनी आर्थिक प्रोफाइल, प्रमुख अवसर, बाधाएं और 90-दिवसीय कार्ययोजना साझा की। बैठक में स्टियरिंग कमेटी व वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा में त्वरित कार्यों पर सहमति बनी। इनमें कॉमन फैसिलिटी सेंटर्स (CFC), प्लग-एंड-प्ले अवसंरचना, एंटरप्राइज सपोर्ट सेंटर्स, लॉजिस्टिक्स-वेयरहाउसिंग, कौशल एवं अप्रेंटिसशिप, निवेश-प्रोत्साहन और एकीकृत मास्टर प्लानिंग जैसे बिंदु शामिल हैं।