अमेरिकी खुफिया एजेंसी, सीआईए के एक पूर्व अधिकारी ने चौंकाने वाला दावा किया है। एएनआई से बातचीत में पूर्व सीआईए अधिकारी जॉन किरियाकू ने एक सवाल, पाकिस्तान में परमाणु हथियारों के आतंकवादियों के हाथों में जाने के डर, के जवाब में कहा कि 'जब मैं 2002 में पाकिस्तान में तैनात था, तो मुझे अनौपचारिक रूप से बताया गया था कि पेंटागन पाकिस्तानी परमाणु शस्त्रागार को नियंत्रित करता है, और परवेज मुशर्रफ ने नियंत्रण संयुक्त राज्य अमेरिका को सौंप दिया है क्योंकि उन्हें ठीक इसी बात का डर था।'
'अमेरिका ने मुशर्रफ को खरीद लिया था'
पूर्व सीआईए अधिकारी जॉन किरियाकू ने हाल ही में बताया कि अमेरिका ने पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के साथ इतना करीबी रिश्ता बनाया कि सचमुच उसे खरीद लिया गया। किरियाकू के अनुसार अमेरिका ने पाकिस्तान को लाखों डॉलर की मदद दी, चाहे वह सैन्य मदद हो या आर्थिक विकास के लिए, और मुशर्रफ ने अमेरिका को पूरी आजादी दी कि वे अपने काम कर सकें। किरियाकू ने बताया कि पाकिस्तान उस समय व्यापक भ्रष्टाचार की चपेट में था। उन्होंने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो दुबई में आलीशान जीवन जीती थीं, जबकि आम लोग भूखे मर रहे थे। मुशर्रफ सेना को खुश रखने के लिए अमेरिका के साथ आतंकवाद विरोधी सहयोग का ढोंग करता था, जबकि गुप्त रूप से भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां जारी रहती थीं।
'2001 के हमले के बाद युद्ध की कगार पर थे भारत-पाकिस्तान'
उन्होंने 2001-02 के दौर का भी जिक्र किया, जब भारत-पाकिस्तान युद्ध के कगार पर थे और दिसंबर 2001 में संसद हमले जैसी घटनाएं हुईं। किरियाकू ने कहा कि पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता आम जनता पर असर डालती है। विरोध-प्रदर्शनों में लोगों की मौतें और राजनेताओं पर हमले आम थे। किरियाकू के अनुसार, पाकिस्तान के राजनेता जनता की समस्याओं की ओर ध्यान नहीं देते। उन्होंने कहा, ये वही नेता हैं, जिनके साथ पाकिस्तानी जनता को जीना पड़ता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या अल कायदा पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर कब्जा कर सकता है, तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि ऐसा नहीं होगा।
'सऊदी दबाव के चलते अमेरिका ने एक्यू. खान को नहीं मारा'
सीआईए में 15 साल तक विश्लेषक और काउंटर-टेररिज्म ऑपरेशंस में काम करने वाले पूर्व अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान के परमाणु बम के वास्तुकार अब्दुल कादिर खान को मारने से सऊदी दबाव के चलते बचा लिया। अमेरिका के पास खान के ठिकाने, दिनचर्या और गतिविधियों की पूरी जानकारी थी, लेकिन सऊदी अरब ने हस्तक्षेप कर कहा कि कृपया उन्हें (एक्यू खान) छोड़ दें। हम एक्यू खान के साथ काम कर रहे हैं और पाकिस्तानी अधिकारियों के करीब हैं। किरियाकू ने इसे अमेरिकी नीति की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस ने सीआईए और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) को निर्देश दिया कि खान को निशाना न बनाया जाए। किरियाकू के अनुसार, यदि अमेरिका ने इस्राइल की तरह कार्रवाई की होती, तो खान को आसानी से खोजा और मार दिया जा सकता था।
'तोरा बोरा से महिला के भेष में भागा लादेन'
जॉन किरियाकू ने खुलासा किया कि अल-कायदा का संस्थापक ओसामा बिन लादेन, जो 9/11 हमलों के बाद अमेरिका के लिए सबसे खोजा जाने वाला आतंकवादी था, तोरा बोरा की पहाड़ियों से महिला के भेष में भाग निकला था। उन्होंने बताया कि अमेरिकी सेंट्रल कमांड के कमांडर का अनुवादक वास्तव में अल-कायदा का एजेंट था और वह अमेरिकी सेना में घुसपैठ कर चुका था। उन्होंने बताया कि अक्तूबर 2001 में अमेरिकी सेना मानती थी कि बिन लादेन और अल-कायदा प्रमुख तोरा बोरा में घेरा गया था। अमेरिकी कमांड ने बिन लादेन को पहाड़ी से उतरने के लिए कहा। अनुवादक ने जनरल फ्रैंक्स को समझाया कि उन्हें सुबह तक महिलाओं और बच्चों को निकालने की अनुमति दी जाए। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद, बिन लादेन ने रात के अंधेरे में एक पिकअप ट्रक की मदद से पाकिस्तान भागने में सफलता पाई।