Nepal: भारत पर बिना नाम लिए तंज; कार्की सरकार को बताया पक्षपाती और असांविधानिक; ओली का तीखा हमला

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडू Published by: शिवम गर्ग Updated Sat, 13 Dec 2025 11:03 PM IST

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कार्की सरकार पर पक्षपात और असांविधानिक कामकाज का आरोप लगाया। उन्होंने बिना नाम लिए भारत पर भी तंज कसते हुए राष्ट्रवाद और संप्रभुता की बात कही।

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक बार फिर आक्रामक तेवर दिखाते हुए कार्की के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर तीखा हमला बोला है। पद से हटाए जाने के तीन महीने बाद अपने पहले सार्वजनिक संबोधन में ओली ने सरकार पर पक्षपाती और असांविधानिक तरीके अपनाने का आरोप लगाया। साथ ही, उन्होंने बिना नाम लिए भारत पर भी व्यंग्यात्मक टिप्पणी की।सीपीएन-यूएमएल (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल–यूनिफाइड मार्क्सवादी लेनिनवादी) के 11वें महाधिवेशन को संबोधित करते हुए ओली ने दावा किया कि उनकी पार्टी फिर से मजबूती के साथ उभरेगी और देश का नेतृत्व करेगी।

चीन के साथ संबंधों का जिक्र, भारत पर परोक्ष तंज
चीन समर्थक माने जाने वाले ओली ने 2015 में संविधान लागू होने और चीन के साथ संपर्क बढ़ाने का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ ताकतों को यह रास नहीं आया। उन्होंने कहा जब हमने नेपाल को लैंडलॉक्ड से लैंड-लिंक्ड देश बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए, तब कई लोग इसे पचा नहीं पाए। सीमा विवाद की ओर इशारा करते हुए ओली ने कहा कि जब उनकी सरकार ने देश की सीमाओं की रक्षा और अपने क्षेत्र पर संप्रभु दावा किया, तब भी कुछ लोगों को आपत्ति हुई। इसे 2020 में जारी नेपाल के नए राजनीतिक नक्शे (जिसमें कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को शामिल किया गया था )से जोड़कर देखा जा रहा है।                                                                                                                                                              “बड़े पेड़ों पर पत्थरों का असर नहीं”
ओली ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा सड़क किनारे खड़े बड़े पेड़ों को पत्थर मारने से नुकसान नहीं होता, चोट छोटे पेड़ों को लगती है। उन्होंने कहा कि तमाम हमलों के बावजूद उनकी पार्टी मजबूती से खड़ी है।                                                                                                                                                                                                                            सितंबर के जेन-जेड आंदोलन पर प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि सितंबर में जेन-जेड आंदोलन के बाद ओली को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। हिंसक प्रदर्शनों में 77 लोगों की मौत हुई थी, जिसके बाद सुशीला कार्की ने अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में पद संभाला। तीन महीने बाद पहली बार ओली ने आंदोलन में मारे गए युवाओं, सुरक्षाकर्मियों और आम नागरिकों के प्रति संवेदना जताई, लेकिन साथ ही सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग भी की।
जेन-जेड और सरकार के समझौते पर सवाल
ओली ने सरकार और जेन-जेड प्रतिनिधियों के बीच हुए 10-सूत्रीय समझौते को फर्जी बताते हुए कहा कि यह देश को टकराव की ओर ले जाने की साजिश है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, सुशासन और सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने जैसे मुद्दों के खिलाफ कभी नहीं रही।
संसद बहाली की मांग, चुनाव से पीछे नहीं हटने का दावा
ओली ने भंग की गई प्रतिनिधि सभा को बहाल करने की मांग दोहराई, हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी 5 मार्च को होने वाले चुनावों से भागेगी नहीं। उन्होंने विश्वास जताया कि सुप्रीम कोर्ट संसद बहाल करेगा। यूएमएल का 11वां महाधिवेशन भकतपुर जिले के सल्लाघारी में हो रहा है, जहां करीब 2,260 प्रतिनिधि पार्टी नेतृत्व का चुनाव करेंगे। ओली लगातार तीसरी बार पार्टी अध्यक्ष बनने की कोशिश में हैं।

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