न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by:
कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Mon, 08 Dec 2025 08:19 PM IST
वंदे मातरम पर लोकसभा में शुरू हुई इस चर्चा के बीच यह जानना अहम है कि आखिर वंदे मातरम का मुद्दा अचानक संसद तक पहुंचा क्यों? प्रधानमंत्री ने किस तरह राष्ट्रगीत को लेकर कांग्रेस को घेरा है? कांग्रेस ने इस मुद्दे का जवाब किस तरह दिया? वंदे मातरम को लेकर जो विवाद है, उसकी जड़ें कहां हैं और आरोप-प्रत्यारोप के बीच इस पूरे मामले की सच्चा क्या है? आइये जानते हैं...
वंदे मातरम पर लोकसभा में चर्चा। - फोटो : अमर उजाला
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वंदे मातरम पर आज लोकसभा में विशेष चर्चा शुरू हुई। इस चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। पीएम ने वंदे मातरम को लेकर मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग के विरोध का जिक्र और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू की भूमिका पर सवाल उठाए। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने 1937 में वंदे मातरम पर समझौता कर लिया और मुस्लिम लीग के सामने घुटने टेक दिए। वंदे मातरम के टुकड़े कर दिए गए। पहले जानें- क्यों संसद में हो रही वंदे मातरम पर चर्चा?
7 नवंबर 1875 को बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखे गए वंदे मातरम के 2025 में 150 साल पूरे हुए हैं। इस उपलक्ष्य पर केंद्र सरकार ने कई आयोजन भी किए हैं। ऐसे ही एक आयोजन में प्रधानमंत्री ने पिछले महीने कांग्रेस को घेरा था। पीएम ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने 1937 के कलकत्ता में रखे गए अधिवेशन में वंदे मातरम के कुछ अहम छंद हटा दिए गए थे। उन्होंने दावा किया था कि इस फैसले ने बंटवारे के बीज बोए थे।
प्रधानमंत्री ने कहा था कि कांग्रेस ने राष्ट्रगीत को दो हिस्सों में तोड़ दिया और इसकी असल आत्मा को कमजोर कर दिया। उन्होंने इस मुद्दे को विकसित भारत के अपने विजन से जोड़ा और राष्ट्रीय विकास को सांस्कृतिक प्रतीकों के साथ मेल के तौर पर पेश किया।