खबरों के खिलाड़ी: विपक्षी गठबंधन में अंतिम वक्त तक जारी खींचतान, बिहार चुनाव नतीजों पर डालेगी कैसा असर?

खबरों के खिलाड़ी: विपक्षी गठबंधन में अंतिम वक्त तक जारी खींचतान, बिहार चुनाव नतीजों पर डालेगी कैसा असर?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: संध्या Updated Sat, 18 Oct 2025 09:12 PM IS

बिहार में पहले चरण के नामांकन की प्रक्रिया शुक्रवार को खत्म हो गई। आखिरी वक्त तक महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर उहापोह की स्थिति बनी रही। पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया खत्म होने बाद महागठबंधन में सीटों का बंटवारा नहीं हो सका। 

बिहार में पहले चरण के नामांकन की प्रक्रिया शुक्रवार को खत्म हो गई। आखिरी वक्त तक महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर उहापोह की स्थिति बनी रही। पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया खत्म होने बाद महागठबंधन में सीटों का बंटवारा नहीं हो सका। स्थिति ऐसी है कि कुछ सीटों पर गठबंधन के सहयोगी आमने-सामने हैं। वहीं, दूसरी ओर एनडीए में सभी सीटो पर बंटवारा होने के साथ ही उम्मीदवार भी तय हो गए। इस पूरे घटनाक्रम पर इस हफ्ते के खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, अवधेश कुमार, राकेश शुक्ल और अभिषेक कुमार मौजूद रहे। 

रामकृपाल सिंह: एकता कहां होती है? जहां एक हैवीवेट होता है और बाकी मॉस्किटो वेट होते हैं। मॉस्किटो वेट वालों को पता होता है कि हमें चलना हैवीवेट वाले के हिसाब से ही। जब सभी बराबर वजन वाले होते हैं वहां एकता होने में मुश्किलें आती हैं। ऐसा ही हाल महागठबंधन वाले दलों का हैं। 

अवधेश कुमार: मेरा मानना है कि इस चुनाव में कई सीटों पर महागठबंधन की पार्टियों के बीच दोस्ताना संघर्ष होने वाला है। बिना सीट की घोषणा किए हुए टिकट बांटे जा रहे हैं। ये किस तरह का गठबंधन है। वहीं, दूसरे गठबंधन में जो समस्या आई है वो लोजपा को लेकर आई है। भाजपा उम्मीदवार के विरुद्ध किसी दूसरे सहयोगी दल ने उम्मीदवार नहीं खड़ा किया। जो उम्मीदवार खड़े हुए हैं वो केवल लोजपा और जदयू के बीच ही दिख रहे हैं। 

राकेश शुक्ल: कांग्रेस को लग रहा है कि यही उसके फिर से खड़े होने का समय है। इसकी शुरुआत वो बिहार से करने की कोशिश में है। यही इस गठबंधन में विवाद की वजह है। कांग्रेस ऐसी सीटें चाह रही है कि उसे वो सीटें मिलें जहां वो बेहतर स्थिति में है। सारा पेंच सीमांचल को लेकर फंसा हुआ है। मेरा मानना है कि यदि किसी उम्मीदवार से नामांकन कराया जाता है और बाद में उसे वापस लेने को कहा जाएगा तो वो उस गठबंधन को नुकसान पहुंचाएंगा। 

अभिषेक कुमार: मुकेश सहनी आज की तारीख में बिहार में मल्लाहों के सबसे बड़े नेता हैं। इसी तरह चिराग पासवान हों, तेजस्वी यादव हों या नीतीश और मोदी सभी किसी समुदाय के नेता हैं। अति पिछड़ा वोटर अभी भी नीतीश के साथ है। बिहार में इस बार अगड़ी जातियों का वोटर इस बार किसी एक पार्टी के साथ नहीं है। प्रशांत किशोर ने बिहार के मतदाताओं तीसरा विकल्प भी दिया है। अब तक के समीकरण में सबसे ज्यादा खुश जदयू है। 

विनोद अग्निहोत्री: इस बार जो गड़बड़ हुई है वो कांग्रेस और राजद दोनों की तरफ से हुई है। कांग्रेस को लग रहा है कि उनकी स्थिति बहुत बेहतर हुई है। लोकसभा में भी उनका बेहतर प्रदर्शन रहा था। इसलिए उन्हें लगता है कि बिहार में उनकी संभावनाएं हैं। कहीं न कहीं किसके तार कहां जुड़े हैं और कहां तार जोड़ने की कोशिश कर रहा है ये समझना मुश्किल है। बिहार में भी यह हो रहा है।


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