देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो में हाल के दिनों में हुई बड़े पैमाने की उड़ान रद्दीकरण और देरी के मामले में जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। उड़ानों में भारी अव्यवस्था को लेकर गठित चार सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट नागरिक उड्डयन नियामक डीजीसीए को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के बाद इंडिगो की संचालन व्यवस्था और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, डीजीसीए के संयुक्त महानिदेशक संजय के. ब्रह्माने की अध्यक्षता वाली समिति ने शुक्रवार शाम अपनी रिपोर्ट जमा की। इस जांच का मकसद यह समझना था कि आखिर कैसे एक ही दिन में 1600 से ज्यादा उड़ानें रद्द करनी पड़ीं और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट की प्रतियां नागरिक उड्डयन मंत्री और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को भी भेजी गई हैं।
जांच समिति और उसकी भूमिका
इस समिति में डीजीसीए के वरिष्ठ अधिकारी और फ्लाइट ऑपरेशंस से जुड़े अनुभवी निरीक्षक शामिल थे। समिति का गठन 5 दिसंबर को किया गया था ताकि इंडिगो में आंतरिक निगरानी, संचालन की तैयारी और नियमों के अनुपालन की स्थिति की स्वतंत्र जांच की जा सके। शुरुआती आकलन में ही यह संकेत मिले थे कि एयरलाइन के भीतर योजना और निगरानी में गंभीर कमियां थीं।
क्रू प्लानिंग और नियमों की चूक
जांच में यह बात सामने आई कि उड़ानों में अव्यवस्था का मुख्य कारण पायलटों के ड्यूटी टाइम से जुड़े नियमों यानी एफडीटीएल मानकों को लागू करने में हुई चूक थी। डीजीसीए ने पहले ही इन नियमों को चरणबद्ध तरीके से लागू करने के निर्देश दिए थे, लेकिन इंडिगो समय रहते क्रू की उपलब्धता का सही अनुमान नहीं लगा पाई। इसका नतीजा यह हुआ कि नवंबर के अंत से लगातार उड़ानें रद्द होने लगीं।
नियामक की सख्ती और आगे की कार्रवाई
इन गड़बड़ियों के बाद डीजीसीए ने इंडिगो को अपने शीतकालीन उड़ान कार्यक्रम में 10 प्रतिशत कटौती करने का आदेश दिया था। साथ ही एयरलाइन के सीईओ और सीओओ को कारण बताओ नोटिस भी जारी हुआ था। समीक्षा बैठक में इंडिगो प्रबंधन ने खुद माना कि नए नियमों के तहत क्रू जरूरतों का आकलन करने में उनसे चूक हुई और यही बड़े पैमाने पर रद्दीकरण की वजह बनी।
यात्रियों पर असर और सिस्टम की चुनौती
नियामक के अनुसार, रोजाना 170 से 200 उड़ानों के रद्द होने से यात्रियों की सुविधा और नेटवर्क की विश्वसनीयता पर गंभीर असर पड़ा। नवंबर महीने में इंडिगो की उड़ान रद्दीकरण दर अन्य एयरलाइनों की तुलना में सबसे ज्यादा रही। अब डीजीसीए की नजर इस बात पर है कि रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर आगे क्या दंडात्मक या सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं।