पूर्व मंत्री ने कहा गलत नीतियों के चलते किसान की स्थिति हुई खराब
भोपाल। मध्यप्रदेश में मोहन सरकार के दो साल पूरे होने के अवसर पर, जहां एक ओर मंत्री अपने-अपने विभागों की उपलब्धियां बता रहे हैं, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सरकार की कमियों को उजागर करने में लगी है। इसी कड़ी में, कसरावद के कांग्रेस विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने किसानों के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया है।
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सचिन यादव ने आरोप लगाया कि 2 साल का सिर्फ ढिंढोरा पीटा जा रहा है। मध्यप्रदेश में किसानों का हाल बेहाल है। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण किसानों की स्थिति खराब हुई है। यादव ने भाजपा के चुनावी वादों को याद दिलाते हुए कहा कि गेहूं 2700 क्विंटल और धान 3100 क्विंटल का वादा झूठा साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल रहा है। पूर्व मंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की स्थिति पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने किसानों को निरंतर 10 घंटे बिजली देने का वादा किया था, लेकिन हकीकत में अघोषित कटौती हो रही है और 10 घंटे भी बिजली नहीं मिल रही है। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 से सोयाबीन की सरकारी खरीदी बंद कर दी गई है और भावांतर जैसी योजना चालू कर दी गई है, जिससे किसानों में नाराज़गी है।
खाद मांगी तो पिटे किसान
यादव ने दावा किया कि प्रदेश में किसानों को खाद नहीं मिलता और जब वे मांग करते हैं तो उनकी पिटाई की जाती है। उन्होंने गुणवत्ताहीन खाद के वितरण का भी मुद्दा उठाया और कहा कि गलत तरीके से खाद वितरण में मध्यप्रदेश देश में दूसरे और गुणवत्ताहीन खाद के मामले में तीसरे नंबर पर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये आंकड़े कांग्रेस के नहीं, बल्कि लोकसभा में दिए गए सरकारी आंकड़े हैं।
कमलनाथ सरकार की गिनाई उपलब्धियां
यादव ने अपनी पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने किसान को राहत नहीं, बल्कि संरक्षण की गारंटी दी थी। उन्होंने जय किसान ऋण मुक्ति योजना के तहत 2 लाख तक का फसल ऋण माफ करने, 10 हॉर्स पावर तक बिजली बिल आधा करने और शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत नकली खाद-बीज पर सख्त कार्रवाई करने जैसी कई योजनाएं बताईं। उन्होंने यह भी बताया कि कमलनाथ सरकार ने कृषि उपकरणों पर सब्सिडी बढ़ाई और गोशाला निर्माण के जरिए पशुधन की सुरक्षा की व्यवस्था की थी।