पर्यावरण से जुड़े ज्वलंत मुद्दे पर केंद्र सरकार ने राज्यों को नए सिरे से निर्देश दिए हैं। इनमें कहा गया है कि अरावली क्षेत्र में खनन के नए पट्टे देने पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। यानी दिल्ली से गुजरात तक फैली संपूर्ण अरावली रेंज में अब खनन के लिए नए पट्टे की मंजूरी देने पर पूरी तरह से रोक रहेगी। बीते नवंबर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पर्यावरण मंत्रालय ने इस संबंध में राज्यों को पहले भी आगाह किया था।
21 दिसंबर के परामर्श में कहा गया था कि MPSM यानी सतत खनन प्रबंधन योजना को अंतिम रूप दिए जाने तक माइनिंग के लिए कोई नई लीज नहीं दी जानी चाहिए। यह परामर्श सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जारी हुआ था। आदेश में कहा गया था कि भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद यानी ICFRE जब तक प्रबंधन योजना नहीं बना लेती, तब तक खनन के लिए नई लीज नहीं दी जा सकती।
24 दिसंबर के निर्देश क्या कहते हैं?
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के नए निर्देशों में कहा गया है कि नए खनन के लिए मंजूरी देने पर रोक संपूर्ण अरावली क्षेत्र पर लागू रहेगी। इसका उद्देश्य अरावली रेंज की अखंडता को बचाए रखना है। इन निर्देशों का लक्ष्य गुजरात से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक फैली एक सतत भूवैज्ञानिक शृंखला के रूप में अरावली का संरक्षण करना और सभी अनियमित खनन गतिविधियों को रोकना है।
ICFRE क्या करेगा?
पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, ICFRE से कहा गया है कि पूरे अरावली क्षेत्र में ऐसे अतिरिक्त क्षेत्रों की पहचान की जाए, जहां पर खनन पर रोक लगनी चाहिए। यह उन क्षेत्रों के अतिरिक्त रहे, जहां पर केंद्र ने पहले से खनन पर प्रतिबंध लगा रखा है। ICFRE से एक समग्र और विज्ञान आधारित प्रबंधन योजना बनाने को कहा गया है। इस योजना को फिर सार्वजनिक किया जाएगा ताकि सभी साझेदारों से इस पर सलाह-मशविरा किया जा सके। इसके पर्यावरण आकलन और पारिस्थितिक क्षमता को भी देखा जाएगा ताकि संवेदनशील क्षेत्रों की संरक्षण के लिहाज से पहचान की जा सके। साथ ही ऐसे क्षेत्रों की बहाली या पुनर्वास के उपाय किए जा सकें।
संरक्षित और प्रतिबंधित क्षेत्रों का दायरा और व्यापक हो जाएगा
मंत्रालय ने कहा कि केंद्र की इस पहल से पूरे अरावली क्षेत्र में खनन के लिए संरक्षित और प्रतिबंधित क्षेत्रों का दायरा और अधिक व्यापक हो जाएगा। इसमें स्थानीय भौगोलिक पारिस्थितिकी और जैव-विविधता को ध्यान में रखा जाएगा।
पहले से चल रही खदानों का क्या होगा?
केंद्र ने यह भी निर्देश दिया है कि जो खदानें पहले से चल रही हैं, उनके मामले में राज्य सरकारों को सभी पर्यावरणीय मानकों का सख्ती से पालन कराना होगा और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप काम करना होगा। मौजूदा खनन गतिविधियों का सख्ती से नियमन करना होगा और इसके लिए अतिरिक्त बंदिशें लगानी होंगी ताकि पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित हो सके।