भाजपा-कांग्रेस के लिए जिला कार्यकारिणियों का गठन बना चुनौती

साल बीतने को, फिर भी कई जिलों में संगठनात्मक ढांचा नहीं हो सका पूरा
भोपाल। प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए पूरे साल प्रयासरत रहे, लेकिन साल समाप्ति के करीब पहुंचने के बावजूद दोनों ही दलों में सभी संगठनात्मक जिलों में जिला कार्यकारिणियों का गठन नहीं हो पाया है। हालात यह हैं कि कई जिलों में अब भी पुरानी कार्यकारिणियों के सहारे ही संगठनात्मक कामकाज चल रहा है।
भाजपा में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पिछले साल दिसंबर में शुरू हुई थी। धीरे-धीरे कई जिलों में जिला कार्यकारिणियों का गठन किया गया, लेकिन करीब एक साल बाद भी सभी जिलों में यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। जानकारी के अनुसार, लगभग 20 संगठनात्मक जिलों में जिला अध्यक्ष बने हुए एक साल होने के बावजूद कार्यकारिणी का गठन नहीं हो पाया है। सितंबर से प्रक्रिया तेज हुई, मगर चार महीनों में भी कई जिलों में सहमति नहीं बन सकी। खास बात यह है कि केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर के प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी कार्यकारिणी गठन को लेकर खींचतान जारी है।
संगठन सृजन अभियान के बाद भी कांग्रेस में ठहराव
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में संगठन सृजन अभियान के तहत नए जिला अध्यक्षों के चयन से उम्मीद जगी थी कि पार्टी नए सिरे से संगठन को मजबूत करेगी। हालांकि चार महीने बीतने के बाद भी अधिकांश जिलों में अध्यक्ष अपनी पूरी टीम नहीं बना सके हैं। कांग्रेस में गुटबाजी की पुरानी समस्या एक बार फिर सामने आई है। वरिष्ठ नेताओं, विधायकों और जिला अध्यक्षों के बीच नामों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है, जिससे संगठनात्मक संतुलन साधना मुश्किल हो गया है।
प्रशिक्षण का भी नहीं दिखा ठोस असर
संगठन को सक्रिय बनाने के उद्देश्य से राहुल गांधी द्वारा नवनियुक्त जिलाध्यक्षों को प्रशिक्षण दिया गया और दिशा-निर्देश भी दिए गए, लेकिन इसका अपेक्षित असर जमीन पर नजर नहीं आया। अब तक जिला कार्यकारिणियों का ढांचा खड़ा नहीं हो सका है। कांग्रेस पहले से ही कमजोर संगठन और अंदरूनी गुटबाजी के आरोपों से जूझ रही है, जिससे पार्टी की संगठनात्मक मजबूती पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कुल मिलाकर, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए जिला स्तर पर मजबूत संगठन खड़ा करना अब भी बड़ी चुनौती बना हुआ है।

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