नई दिल्ली. इंडिगो संकट पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार 10 दिसम्बर को केंद्र सरकार को फटकार लगाई. अदालत ने पूछा कि जब एयरलाइन फेल हो गई थी, तब सरकार ने क्या किया. कैसे फ्लाइट्स की टिकट की कीमतें 4-5 हजार रुपए से बढ़कर 30,000 रुपए तक पहुंच गईं. अन्य एयरलाइंस ने इसका फायदा कैसे उठाया. आपने क्या कार्रवाई की? आपने ही स्थिति को इस हाल तक पहुंचने दिया.
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेदेला की डिविजन बेंच जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई कर रही थी. इसमें मांग की गई थी कि इंडिगो संकट की स्वतंत्र न्यायिक जांच की जाए और जिन लोगों की फ्लाइट रद्द हुई या जो एयरपोर्ट पर फंसे उन्हें मुआवजा दिया जाए.
इस दौरान कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ व्यक्तिगत यात्रियों का मामला नहीं है, बल्कि इससे आर्थिक नुकसान भी हुआ है. सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस तरह की स्थिति दोबारा न पैदा हो. इधर, डीजीसीए (नागरिक उड्डयन नियामक) ने इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स को गुरुवार दोपहर 3 बजे समन भेजकर बुलाया है.
सरकारी बोली- डीजीसीए की भी जांच होगी
इंडिगो संकट को लेकर अब डीजीसीए (नागरिक उड्डयन नियामक) भी केंद्र सरकार की जांच के रडार पर है. नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने एक इंटरव्यू में कहा कि इंडिगो की गड़बड़ी पर सिर्फ एयरलाइन ही नहीं, बल्कि डीजीसीए के कामकाज की भी जांच होगी. मंत्री ने यात्रियों को हुई परेशानी के लिए माफी मांगी और कहा कि जिम्मेदार लोगों पर कड़ी और उचित कार्रवाई की जाएगी.