MEA: 'एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानते', ब्रिटेन के गुजरात तेल रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाने पर भारत की दो टूक

न्यूज डेस्क अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शुभम कुमार Updated Thu, 16 Oct 2025 09:20 PM IST

ब्रिटेन द्वारा गुजरात की वाडिनार रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाने पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता। उन्होंने दोहरे मापदंड खत्म करने की मांग करते हुए कहा कि ऊर्जा सुरक्षा देश की प्राथमिक जिम्मेदारी है। 

ब्रिटेन की तरफ से गुजरात के वाडिनार स्थित एक तेल रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाने के फैसले पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा कि भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता और ऊर्जा व्यापार को लेकर दोहरे मापदंड खत्म करने की मांग की।

बता दें कि जायसवाल का ये बयान तब आया जब ब्रिटेन ने गुजरात के वाडिनार स्थित एक तेल रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगाया। यह रिफाइनरी नयारा एनर्जी लिमिटेड के स्वामित्व में है और इसे रूस की तेल बिक्री से जुड़े होने के कारण ब्रिटेन ने अपने नए प्रतिबंधों के तहत निशाना बनाया है।

एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानेगा भारत- जायसवाल
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता। ऊर्जा सुरक्षा हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है, ताकि देश के नागरिकों की बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकें। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियां वैश्विक बाजार स्थितियों को ध्यान में रखकर ऊर्जा की आपूर्ति करती हैं। ऊर्जा व्यापार को लेकर दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए। हालांकि इससे पहले यूरोपीय संघ भी नयारा एनर्जी पर प्रतिबंध लगा चुका है, जिसका कंपनी ने कड़ा विरोध किया था। 

भारत के आयात नीतियों पर भी बोले जायसवाल
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना सरकार की निरंतर प्राथमिकता रही है। हमारी आयात नीतियां पूरी तरह इसी उद्देश्य से निर्देशित हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत अमेरिका के साथ ऊर्जा संबंधों को बढ़ाने पर भी विचार कर रहा है। 
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर सवालों का जवाब देते हुए रणधीर जायसवाल ने कहा, स्थिर ऊर्जा मूल्य और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना हमारी ऊर्जा नीति के दोहरे लक्ष्य रहे हैं। इसमें हमारी ऊर्जा आपूर्ति के स्रोत का आधार व्यापक बनाना और बाजार की परिस्थितियों के अनुरूप इसमें विविधता लाना शामिल है। पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत की ओर से रूस से पेट्रोलियम उत्पादों की निरंतर खरीद एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिसके परिणामस्वरूप नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच संबंधों में भारी गिरावट आई है।

Leave Comments

Top