बाजार के जानकारों का कहना है कि यह साल चांदी के निवेशकों के लिए किसी जैकपॉट से कम नहीं रहा। 31 दिसंबर, 2024 को चांदी 89,700 रुपये प्रति किलोग्राम पर थी, जो अब तक इस कैलेंडर वर्ष में 1,46,650 रुपये (163.5%) बढ़ चुकी है।
सोने की चमक भी बरकरार
चांदी के साथ-साथ सोने ने भी अपनी चमक बिखेरी है। स्थानीय बाजार में 99.9% शुद्धता वाला सोना 1,500 रुपये की छलांग लगाकर 1,42,300 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। पिछले सत्र में यह 1,40,800 रुपये पर बंद हुआ था। इस साल सोने ने अब तक करीब 80% का रिटर्न दिया है।
क्यों आई यह रिकॉर्ड तेजी?
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, इस तेजी के पीछे घरेलू मांग के साथ-साथ मजबूत ग्लोबल संकेत हैं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटी एनालिस्ट सौमिल गांधी ने कहा, "सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन कीमती धातुओं की रैली जारी रही। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोना और चांदी नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं।"
वहीं, मिराए एसेट शेयरखान के प्रवीण सिंह का मानना है, "फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों और कमोडिटी बाजार में सकारात्मक माहौल ने सोने को 4,530 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंचा दिया है। साल के अंत में कम ट्रेडिंग वॉल्यूम (Thin Liquidity) के कारण कीमतों में यह बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है।"
विदेशी बाजारों में चांदी 75 डॉलर प्रति किलोग्राम के पार
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी ने बड़ा पड़ाव पार कर लिया है। विदेशी व्यापार में चांदी पहली बार 75 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार कर गई। यह 3.72 डॉलर (5.18%) की तेजी के साथ 75.63 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि दिसंबर की शुरुआत से ही बाजार में 'मोमेंटम ट्रेवल्स' (Momentum Traders) हावी हैं, और क्रिसमस की छुट्टियों के कारण कम नकदी प्रवाह ने इस तेजी को और हवा दी है।
औद्योगिक मांग और आपूर्ति संकट
रिलायंस सिक्योरिटीज के जिगर त्रिवेदी ने चांदी की इस तेजी के लिए बुनियादी कारणों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा वैश्विक स्तर पर खदानों से उत्पादन मांग के मुकाबले कम हो रहा है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी), 5जी और एआई इलेक्ट्रॉनिक्स में चांदी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। त्रिवेदी ने कहा कि कमजोर डॉलर और सुरक्षित निवेश की मांग के चलते 2026 तक चांदी की कीमतें 100 डॉलर प्रति औंस तक जा सकती हैं।
साल 2025 का अंत कमोडिटी निवेशकों के लिए शानदार रहा है। जहां सोना सुरक्षित निवेश का विकल्प बना हुआ है, वहीं औद्योगिक मांग के चलते चांदी लंबी रेस का घोड़ा साबित हो रही है। अब सभी की निगाहें नए साल में फेडरल रिजर्व की नीतियों और भू-राजनीतिक हालातों पर टिकी हैं।