भाजपा ने क्यों नहीं बनाया अध्यक्ष: क्या खरमास की वजह से नियुक्त किया कार्यकारी प्रमुख; पहले कब-क्यों हुआ ऐसा?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Sun, 14 Dec 2025 08:19 PM IST

भाजपा ने पूर्ण अध्यक्ष की जगह फिलहाल कार्यकारी अध्यक्ष का एलान क्यों किया है? इसके पीछे खरमास से जुड़ी क्या अटकलें लगाई जा रही हैं? पहले भाजपा ने अपना कोई अहम कार्य कब इस कारण से रोका है? इसके अलावा क्या भाजपा नितिन नबीन की जगह किसी अन्य चेहरे को पूर्णकालिक अध्यक्ष बना सकती है या वे ही इस पद पर बने रहेंगे? ऐसा पहले कब हुआ है? आइये जानते हैं...

             नितिन नबीन बने भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष 

विस्तार

भाजपा ने रविवार को अपने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का एलान कर दिया। इसी के साथ जगत प्रकाश नड्डा अब पार्टी के मुखिया के पद से हट गए हैं। यूं तो नड्डा का कार्यकाल 2024 में ही खत्म हो गया था, लेकिन भाजपा के अध्यक्ष के चुनाव में कुछ अड़चनें आ रही थीं, जिसके चलते नड्डा के कार्यकाल को ही एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था। अब बिहार में भाजपा के मंत्री नितिन नबीन को पार्टी ने कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया है, जो कि पूर्ण अध्यक्ष के चुनाव तक भाजपा संगठन के सर्वेसर्वा होंगे। 
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर भाजपा ने पूर्ण अध्यक्ष की जगह फिलहाल कार्यकारी अध्यक्ष का एलान क्यों किया है? इसके पीछे खरमास से जुड़ी क्या अटकलें लगाई जा रही हैं? पहले भाजपा ने अपना कोई अहम कार्य कब इस कारण से रोका है? इसके अलावा क्या भाजपा नितिन नबीन की जगह किसी अन्य चेहरे को पूर्णकालिक अध्यक्ष बना सकती है या वे ही इस पद पर बने रहेंगे? ऐसा पहले कब हुआ है? आइये जानते हैं...
भाजपा ने क्यों किया कार्यकारी अध्यक्ष का एलान?
यह नियुक्ति 14 दिसंबर 2025 यानी आज से तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। इस संबंध में पार्टी की ओर से औपचारिक संगठनात्मक आदेश जारी किया है। भाजपा के  राष्ट्रीय महासचिव एवं मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह की ओर से जारी आदेश के मुताबिक यह नियुक्ति भाजपा के संसदीय बोर्ड की तरफ से की गई है। आदेश में लिखा है कि भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड ने नितिन नबीन, मंत्री बिहार सरकार को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। उपरोक्त नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी। 
गौरतलब है कि मंगलवार से खरमास शुरू हो रहा है, जो कि हिंदू धर्म में एक पवित्र लेकिन सावधानी रखने वाला समय माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्य देव धनु राशि या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब यह काल खरमास कहलाता है। इस दौरान अधिकतर मांगलिक कार्यों को रोक दिया जाता है। इस बार खरमास 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति तक जारी रहेगा। इसके बाद सूर्य मकर राशि में स्थान लेंगे और खरमास समाप्त हो जाएगा। 
ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा 14 जनवरी से शुभ दिन शुरू होने के बाद ही नए पूर्णकालिक भाजपा अध्यक्ष का एलान कर सकती है। चूंकि अभी अध्यक्ष के एलान के ठीक बाद खरमास पड़ना था, इसलिए उसने फिलहाल कार्यकारी अध्यक्ष का एलान किया है। इससे जेपी नड्डा भी अपने पद से स्वतंत्र होकर पश्चिम बंगाल व अन्य राज्यों के लिए चुनाव की रणनीति तैयार करने में जुड़ सकते हैं।
पहले भाजपा ने कब खरमास की वजह से रोका अपना अहम कार्य?
ऐसा नहीं है कि भाजपा ने खरमास की वजह से पहली बार कोई बड़ा एलान टाला हो। इससे पहले लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव और जिलाध्यक्ष से लेकर अन्य चुनावों में भी पार्टी ने ज्योतिषीय गणनाओं का ख्याल रखा है। 2017 में भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए सूची तैयार कर ली थी, हालांकि इसका एलान खरमास तक के लिए रोक दिया गया था। इसके बाद शुभ मूहुर्त देखकर पार्टी ने 16 जनवरी को अपनी लिस्ट निकाली थी। 
कुछ ऐसा ही भाजपा ने 2023 में लोकसभा चुनाव के दौरान किया था। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने पार्टी के प्रत्याशियों को लेकर मंथन शुरू किया था, हालांकि लिस्ट फाइनल होने में कुछ समय लिया गया और चुनावों की तैयारियां खरमास के बाद ही आगे बढ़ाई गईं।भाजपा में पहले कब कार्यकारी अध्यक्ष बने पूर्णकालिक अध्यक्ष?
भाजपा के अब तक के इतिहास को देखा जाए तो सामने आता है कि अब तक पार्टी 11 चेहरों को अध्यक्ष बना चुकी है। हालांकि, इनमें से सिर्फ दो ही चेहरे ऐसे हैं, जिन्हें पहले कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर और फिर पूर्णकालिक अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति मिली। यानी भाजपा ने जिन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाया, उन्हें बाद में पूर्ण अध्यक्ष भी बनाया। ऐसे में यह भी संकेत हैं कि नितिन नबीन को खरमास के बाद पूर्ण अध्यक्ष का पद सौंपा जा सकता है।
पहले कौन-क्यों बनाए गए थे कार्यकारी अध्यक्ष?
भाजपा के पहले कार्यकारी अध्यक्ष जना कृष्णमूर्ति रहे। दरअसल, साल 2000 में पार्टी ने बंगारू लक्ष्मण को अध्यक्ष नियुक्त किया था, हालांकि एक साल बाद ही तहलका मैगजीन की ओर से किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन के बाद लक्ष्मण ने इस्तीफा दे दिया। इसके चलते भाजपा ने 2001 में जना कृष्णमूर्ति को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया। कुछ ही समय बाद पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने उन्हें पूर्ण अध्यक्ष बनाया। लेकिन 2002 में उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री पद सौंप दिया गया। ऐसे में कृष्णमूर्ति ने  भाजपा अध्यक्ष का पद छोड़ दिया। उनके बाद वेंकैया नायडू पूर्णकालिक अध्यक्ष बने थे। 
इसके अलावा दूसरा उदाहरण खुद जेपी नड्डा का है, जिन्हें 2019 में अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। 2020 में उन्हें भाजपा का पूर्ण अध्यक्ष चुन लिया गया। यूं तो उनका कार्यकाल तीन साल का था, लेकिन पहले 2024 के लोकसभा चुनाव और फिर अलग-अलग राज्यों में कार्यकारिणी के चुनाव पूरे न हो पाने की वजह से भाजपा के अगले अध्यक्ष का चुनाव रुका रहा। ऐसे में जेपी नड्डा ने पहले 2020 से 2024 तक और फिर 2024 से 2025 तक एक साल के एक्सटेंशन पर पार्टी का कार्यभार संभाला।

Leave Comments

Top