रेलवे पर लगा हजारों का जुर्माना, ट्रेन के कैंसिल्ड टिकट का रिफंड नहीं देना पड़ गया महंगा

Bhopal News: ट्रेन का रूट डायवर्ट होने के कारण टिकट रद कराने के बावजूद रिफंड न देने पर जिला उपभोक्ता आयोग क्रमांक-2 ने रेलवे को दोषी ठहराया है। आयोग ने रेलवे (Indian Railways) को टिकट की राशि 2240 रुपये लौटाने के साथ 15 हजार रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया है। यह राशि दो माह के भीतर उपभोक्ता को अदा करनी होगी।

By Anjali rai  Edited By: Dheeraj Belwal  Publish Date: Sun, 14 Dec 2025 08:49:11 PM (IST)
Updated Date: Sun, 14 Dec 2025 08:49:11 PM (IST

                                                  रेलवे पर लगा हजारों का जुर्माना।

HighLights

  1. ट्रेन टिकट का रिफंड न देना रेलवे को पड़ा महंगा
  2. उपभोक्ता आयोग ने लगाया ₹17 हजार का जुर्माना
  3. रूट डायवर्जन की सूचना के बाद भी राशि नहीं लौटाई

नईदुनिया प्रतिनिधि, भोपाल। ट्रेन का रूट डायवर्ट होने के कारण टिकट रद कराने के बावजूद रिफंड न देने पर जिला उपभोक्ता आयोग क्रमांक-2 ने रेलवे को दोषी ठहराया है। आयोग ने रेलवे को टिकट की राशि 2240 रुपये लौटाने के साथ 15 हजार रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया है। यह राशि दो माह के भीतर उपभोक्ता को अदा करनी होगी।

रूट डायवर्जन की सूचना के बाद भी राशि नहीं लौटाई

मामला बैरसिया निवासी मोहम्मद फहीम से जुड़ा है। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ एक गमी में शामिल होने के लिए इंदौर-बरेली एक्सप्रेस का टिकट 2240 रुपये में बुक कराया था। यात्रा 14 दिसंबर 2023 को संत हिरदाराम नगर स्टेशन से रात 9.40 बजे प्रारंभ होनी थी। हालांकि, ट्रेन के निर्धारित समय से करीब चार घंटे पहले उनके मोबाइल पर रेलवे की ओर से संदेश आया कि ट्रेन का रूट डायवर्ट कर दिया गया है और वह संत हिरदाराम नगर स्टेशन पर नहीं आएगी।

रिफंड न देना पड़ा महंगा

इस सूचना के बाद उपभोक्ता ने मजबूरी में टिकट रद कराया और वैकल्पिक रूप से जबलपुर-निजामुद्दीन एक्सप्रेस से यात्रा की। उन्हें दो स्थानों पर बस बदलकर गंतव्य तक पहुंचना पड़ा, जिससे काफी परेशानी हुई। उपभोक्ता ने रद टिकट अपने भाई को देकर स्टेशन से रिफंड लेने भेजा, लेकिन रेलवे ने राशि लौटाने से इनकार कर दिया।

रेलवे पर 17 हजार रुपये का लगा हर्जाना

रेलवे की ओर से तर्क दिया गया कि नियमों के अनुसार ट्रेन के छूटने के 72 घंटे के भीतर बोर्डिंग स्टेशन पर टीडीआर दाखिल करना जरूरी था, जबकि रसीद रानी कमलापति स्टेशन पर जमा की गई। आयोग की अध्यक्ष गिरिबाला सिंह तथा सदस्य अंजुम फिरोज और प्रीति मुद्गल की पीठ ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि उपभोक्ता ने समय सीमा के भीतर रिफंड के लिए प्रयास किया था।

आयोग ने माना कि टिकट रद होने के बावजूद रिफंड न देना और टालमटोली करना सेवा में कमी है, जो यात्रियों के विश्वास को ठेस पहुंचाता है। इसी आधार पर रेलवे पर कुल 17 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया।


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