Tamil Nadu: मोहन भागवत बोले- आरएसएस को लेकर कई धारणाएं बनाई गईं, इसे दूर करने के लिए और गहरा संवाद जरूरी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, तिरुचिरापल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 10 Dec 2025 11:27 PM IST

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संगठन के बारे में लोगों में तथ्य से ज्यादा धारणाएं फैली हैं, जिन्हें दूर करने के लिए अब जनता से गहरा संवाद जरूरी है। उन्होंने बताया कि पूरे देश में विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे, जहां संघ के अधिकारी और स्वयंसेवक लोगों से मिलकर संगठन के काम और विचारों की सटीक व प्रामाणिक जानकारी देंगे।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि संगठन को लेकर फैली धारणाओं और वास्तविक तथ्यों के बीच बड़ी दूरी है, इसलिए अब जनता के साथ और गहरा संवाद जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यात्रा अब तक 'तथ्यों से ज्यादा धारणाओं' के आधार पर ही समझी गई है। मोहन भागवत तिरुचिरापल्ली में आयोजित कार्यक्रम '100 साल का संघ यात्रा - नए क्षितिज' में बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि आगामी महीनों में पूरे देश में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहां संघ के स्वयंसेवक और अधिकारी लोगों से सीधे संवाद करेंगे और संगठन के बारे में सटीक, प्रामाणिक जानकारी साझा करेंगे।'संघ की छवि धूमिल करने के लिए कई धारणाएं बनाई गईं'

उन्होंने कहा, 'संगठन 100 साल का हो चुका है। पिछले 10-15 वर्षों में यह चर्चा का नियमित विषय बना है। लेकिन समर्थक हों या आलोचक-ज्यादातर लोग धारणा के आधार पर बात करते हैं, तथ्य के आधार पर नहीं।' मोहन भागवत ने कहा कि कई धारणाएं 'बनाई गईं, गढ़ी गईं' ताकि संघ की छवि धूमिल हो। संघ को 'आकाश' और 'समुद्र' की तरह बताते हुए उन्होंने कहा कि जैसे आसमान और समुद्र को समझने के लिए उन्हें देखना और अनुभव करना पड़ता है, वैसे ही संघ को भी उसके कार्यों से समझा जाना चाहिए।'गलत धारणाएं मिटाने के लिए शुरू किया गया नया संवाद अभियान'
उन्होंने कहा कि पहले जब संघ की उपस्थिति देश में कम थी, तब लोग उसके बारे में सुनना भी नहीं चाहते थे। 'लेकिन पिछले 20 वर्षों में संघ राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में आया है। अब लोग सुनते भी हैं और विश्वास भी करते हैं।' इसी विश्वास को मजबूत करने और गलतफहमियां दूर करने के लिए नया संवाद अभियान शुरू किया गया है। संघ के अधिकारी देशभर में जाकर कई वर्गों और प्रभावशाली लोगों से बातचीत करेंगे, ताकि संगठन को लेकर बनी गलत धारणाएं मिट सकें। मोहन भागवत ने कहा, 'हमारा उद्देश्य शक्तिशाली संगठन बनना नहीं है, बल्कि पूरे समाज को संगठित करना है।'                                                                                                                                                                                                                  'हिंदुओं के पक्ष में ही सुलझेगा तिरुपरनकुंद्रम विवाद'
इस दौरान उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में तिरुपरनकुंद्रम मुद्दे को राज्य में ही हिंदुओं की ताकत के आधार पर सुलझाया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'तिरुपरनकुंद्रम मुद्दा, अगर इसे आगे बढ़ाने की जरूरत पड़ी, तो ऐसा किया जाएगा। यह मामला अभी कोर्ट में है। इसे सुलझने दीजिए।' उनसे पूछा गया था कि क्या आरएसएस को थिरुपरनकुंद्रम मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाहिए। मोहन भागवत ने कहा, 'मुझे लगता है कि तमिलनाडु में हिंदुओं की जागृति मनचाहा नतीजा लाने के लिए काफी है। लेकिन अगर इसकी जरूरत पड़ी, तो हिंदू संगठन तमिलनाडु में भी काम कर रहे हैं। वे हमें बताएंगे। फिर हम इस बारे में सोचेंगे।' उन्होंने कहा, 'फिलहाल, मुझे लगता है कि यह मुद्दा तमिलनाडु में हिंदुओं की ताकत के आधार पर यहीं सुलझाया जा सकता है।' उन्होंने कहा, 'हमें इसे आगे बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन, एक बात पक्की है कि यह मुद्दा हिंदुओं के पक्ष में ही सुलझेगा।'

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