Bhopal News: हजारों पेड़ों को बचाने उनसे चिपके बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं, कटे हुए पेड़ों को दी श्रद्धांजलि

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: संदीप तिवारी Updated Thu, 25 Dec 2025 06:03 PM IST

अयोध्या बायपास को 10 लेन बनाने के लिए हजारों पेड़ों की कटाई के विरोध में भोपाल में बच्चे, बुजुर्ग और पर्यावरणविद् सड़कों पर उतरे और पेड़ों से लिपटकर प्रदर्शन किया। एनजीटी ने 7871 पेड़ों की कटाई पर 8 जनवरी तक रोक लगा दी है। पर्यावरणविदों का कहना है कि दशकों पुराने पेड़ों की भरपाई नए पौधों से संभव नहीं है और सड़क को 10 की बजाय 6 लेन तक सीमित किया जाना चाहिए।

Bhopal News: Children, elderly people, and women hugged thousands of trees to save them, and paid tribute to t

पेड़ों से लिपटे लोग - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

 
विकास बनाम पर्यावरण की बहस के बीच भोपाल में हरियाली बचाने के लिए अनोखा और भावनात्मक दृश्य देखने को मिला। अयोध्या बायपास को 10 लेन करने के प्रस्ताव के तहत हजारों पेड़ों की कटाई के विरोध में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सड़कों पर उतरे और पेड़ों से लिपटकर उन्हें बचाने का संकल्प लिया। वहां पहुंचे बच्चों ने कहा कि अगर पेड़ नहीं रहेंगे तो हमें ऑक्सीजन कहां से मिलेगी? इसलिए हम आज पेड़ों को बचाने के लिए यहां आए हैं। इस दौरान नगर निगम द्वारा 2 दिन में काटे गए करीब डेढ़ हजार परिणाम को श्रद्धांजलि भी दी गई। पर्यावरण विधि ने कहा कि पेड़ भी जीव होता है और उनकी हत्या हुई है इसलिए उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। जानकारी के लिए बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने अयोध्या बायपास पर 7871 पेड़ों की कटाई पर फिलहाल रोक लगा दी है। मामले में अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी। इस आदेश से उत्साहित होकर स्थानीय लोग, महिलाएं, सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण विशेषज्ञ एकजुट होकर पेड़ों के समर्थन में सामने आए।
दशकों पुराने पेड़ों पर खतरा
पर्यावरणविद् उमाशंकर तिवारी ने बताया कि जिन पेड़ों को काटने की तैयारी की जा रही है, उनकी उम्र 40 से 80 साल के बीच है। उन्होंने कहा कि भले ही 81 हजार पौधे लगाने का दावा किया जा रहा हो, लेकिन नए पौधों को पेड़ बनने में कई दशक लग जाएंगे। ऐसे में पुराने पेड़ों की भरपाई संभव नहीं है।
10 लेन नहीं, 6 लेन का सुझाव
पर्यावरणविदों का मानना है कि मौजूदा चार लेन सड़क को अधिकतम छह लेन तक ही बढ़ाया जाए। इससे ट्रैफिक की जरूरत भी पूरी होगी और हरियाली भी सुरक्षित रहेगी। तिवारी ने यह भी सवाल उठाया कि शहर के भीतर नेशनल हाईवे का विस्तार पर्यावरणीय दृष्टि से कितना उचित है, जबकि ऐसे प्रोजेक्ट शहर के बाहर बनाए जाने चाहिए।
जनता की भागीदारी से ही बचेगी हरियाली
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक आम नागरिक खुद आगे नहीं आएंगे, तब तक पेड़ों को बचाना मुश्किल है। अयोध्या बायपास का इलाका आज भी भोपाल के सबसे हरे-भरे क्षेत्रों में गिना जाता है। अगर यहां बड़े पैमाने पर कटाई हुई, तो इसका असर पूरे शहर के पर्यावरण पर पड़ेगा।
प्रदूषण से लोगों का जीना मुश्किल
पर्यावरणविद् तिवारी ने कहा कि पूरे देश में 66% जिले प्रदूषण के कारण बहुत बुरी हालत में है। प्रदूषण से लोगों का जीना मुश्किल होता जा रहा है। दिल्ली की तरह भोपाल में भी बढ़ती गाड़ी, फैक्ट्री, कचरा-पटाखे जलाने से पहले ही बहुत प्रदूषण है। उसके बाद हरियाली उजाड़ दी जाएगी तो यह गंभीर संकट आम जनजीवन के लिए भारी पड़ जाएगा। कैंसर जैसी बीमारी तेजी से फैल रही है। इसलिए सरकार को पेड़ काटने का निर्णय वापस लेकर ऐसा विकास नहीं करना चाहिए।
16 किमी लंबा प्रोजेक्ट, 8 जनवरी तक रोक
आसाराम चौराहे से रत्नागिरि तिराहे तक 16 किलोमीटर लंबे अयोध्या बायपास को 10 लेन बनाने की योजना है। नगर निगम के जरिए एनएचएआई ने हाल ही में पेड़ कटवाने की प्रक्रिया शुरू की थी, जिसके खिलाफ पर्यावरणविद् नितिन सक्सेना ने एनजीटी में याचिका दायर की।
एनजीटी का सख्त रुख
एनजीटी की पीठ जस्टिस पुष्पा सत्यनारायणा और एक्सपर्ट मेंबर सुधीर कुमार चतुर्वेदी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगली सुनवाई तक पेड़ों की कटाई नहीं होगी। हालांकि, बिना पेड़ काटे सड़क परियोजना से जुड़े अन्य काम जारी रखे जा सकते हैं। वहीं एनएचएआई का कहना है कि उसने सभी दस्तावेज और कमेटी की बैठक के मिनट्स ट्रिब्यूनल में पेश कर दिए हैं और 8 जनवरी को अपना पक्ष मजबूती से रखेगा। फिलहाल भोपाल में संदेश साफ है। विकास जरूरी है, लेकिन पेड़ों की कीमत पर नहीं।

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