यूपी भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने उनके नाम की घोषणा की। हालांकि शनिवार को एकमात्र नामांकन होने की वजह से पहले ही उनके नाम पर औपचारिक मुहर लग गई थी। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया विवि कैंपस के सभागार में इसकी घोषणा की गई।
दरअसल प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में चौधरी का नाम पहली बार चर्चा में आया था, लेकिन इसे लोग इस आधार पर खारिज कर रहे थे सीएम और अध्यक्ष एक ही क्षेत्र से नहीं हो सकता है। हालांकि शुक्रवार को चौधरी के नाम और तेजी से सामने आया, लेकिन नामांकन दाखिल होने तक भी सियासी गलियारों में कई नाम चर्चा में रहे। भाजपा के संगठनात्मक चुनाव के इतिहास के लिहाज से देखा जाए तो लक्ष्मीकांत बाजपेयी के चुनाव के बाद यह पहला मौका है,जब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के लिए चुनाव की औपचारिकता की जा रही है।
केंद्रीय राजनीति से प्रदेश की सियासत में लौटे पंकज चौधरी के प्रदेश अध्यक्ष बनने से भाजपा की सियासत में पूर्वांचल का दखल बढ़ गया है। खास तौर से गोरखपुर क्षेत्र सत्ता का नया केंद्र बनकर उभरा है। देखा जाए तो गोरखपुर की राजनीति में योगी और पंकज चौधरी ही भाजपा के दो बड़े क्षत्रप हैं और अब तो इनमें से एक के पास सरकार और एक के पास भाजपा संगठन की कमान आ गई है।
गोरखपुर के घंटाघर हरबंश गली स्थित घर में 20 नवंबर 1964 में जन्मे पंकज चौधरी ने एमपी इंटर कॉलेज और गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण की। औद्योगिक घराने में जन्मे पंकज चौधरी ने राजनीति में कदम रखा और नगर निगम गोरखपुर में 1989 में पार्षद बने और डिप्टी मेयर बने। महराजगंज में पंकज के लिए राजनीतिक जमीन उनके भाई स्वर्गीय प्रदीप चौधरी ने तैयार की। वह महराजगंज के पहले जिला पंचायत अध्यक्ष थे। वे ही पंकज को अपने साथ लाए और उन्हें स्थापित किया। पंकज ने भी अपनी राजनीतिक समझ से धीरे-धीरे अपनी पहचान बना ली। राम लहर में 1991 में पहली बार भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उसके बाद से वह महराजगंज के ही होकर रह गए। अब तक दो बार ही (1999 और 2009 के लोकसभा चुनाव) में ही पंकज को हार का सामना करना पड़ा। पीएम नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में पहली बार केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री बने और तीसरे कार्यकाल में भी उन्हें दोबारा यह जिम्मेदारी मिली।
1989-91 सदस्य, नगर निगम, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
190-91 उप महापौर, नगर निगम, गोरखपुर।
1990- सदस्य, कार्य समिति, भारतीय जनता पार्टी।
1991- 10वीं लोकसभा के लिए चुने गए। (पहला कार्यकाल)
1991-96 सदस्य, पटल पर रखे गए कागजात संबंधी समिति और सदस्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण और वन संबंधी समिति।
1998-12वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित
2004-14वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित
2014- 16वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित
2019- 17वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित
2024- 18वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित
2021 से केंद्र की मोदी सरकार में लगातार मंत्री।
1. माधव प्रसाद त्रिपाठी- 1980-1984 (4 वर्ष)
2.कल्याण सिंह- 1984-1990 (6 वर्ष)
3.राजेंद्र कुमार गुप्ता- 1990-1991 (1 वर्ष)
4.कलराज मिश्र-1991-1997 (6 वर्ष)
5.राजनाथ सिंह- 25 मार्च 1997- 3 जनवरी 2000 (2 वर्ष 10 माह)
6.ओमप्रकाश सिंह- 3 जनवरी 2000-17 अगस्त 2000 (7 माह)
7. कलराज मिश्र- 17 अगस्त 2000-24 जून 2002 (1 वर्ष 10 माह )
8.विनय कटियार- 24 जून-2002-18 जुलाई 2004 (2 वर्ष)
9.केशरीनाथ त्रिपाठी- 18 जुलाई 2004- सितंबर2007 (3 वर्ष 2 माह)
10.रमापति राम त्रिपाठी- सितंबर 2007-12 मई 2010 (2 वर्ष 8 माह)
11.सूर्य प्रताप शाही- 12 मई 2010 - 13 अप्रैल 2012 ( 1 वर्ष 11 माह)
12.लक्ष्मीकांत वाजपेयी- 13 अप्रैल 2012 - 8 अप्रैल 2016 (4 वर्ष)
13.केशव प्रसाद मौर्य- 8 अप्रैल 2016-31अगस्त 2017 (1 वर्ष 5 माह)
14.महेंद्र नाथ पांडेय- 31 अगस्त 2017- जुलाई 2019 (1 वर्ष 11 माह)
15.स्वतंत्र देव सिंह- जुलाई 2019- 25 अगस्त 2022 (3 वर्ष 1 माह)
16.चौधरी भूपेंद्र सिंहः 25 अगस्त 2022- अब तक (तीन वर्ष से अधिक)