भोपाल बाईपास फोर लेन पर एमपीआरडीसी द्वारा की जा रही टोल वसूली को लेकर पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने सवाल उठाए है। उन्होंने वसूली को अवैध बताया है। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर वसूली तुरंत बंद करने, जिम्मेदारों पर सख्त कार्यवाही करने और 12 दिसंबर 2019 से वसूला गया टोल जनता को वापस करने की मांग की है। अपने पत्र में सकलेचा ने लिखा कि भोपाल बाईपास परियोजना का निर्माण ट्रांस्ट्राय (इंडिया) लिमिटेड ने बीओटी (Build, Operate, Transfer) मॉडल के तहत किया था। अनुबंध वर्ष 2010 में हुआ और कुल लागत 276.56 करोड़ रुपये थी। टोल वसूली 26 मई 2013 से शुरू हुई और 11 दिसंबर 2019 तक निवेशक ने 149.89 करोड़ रुपये वसूले।
अप्रैल-मई 2019 में शासन को पता चला कि वसूली गई राशि ईस्क्रू खाते में जमा नहीं की जा रही थी। इस पर एमपीआरडीसी ने 17 से 23 जून 2019 तक यातायात का सर्वे कराया। सर्वे में पता चला कि प्रतिदिन लगभग 10.5 लाख रुपये का टोल संग्रह हो रहा था, जबकि निवेशक ने बहुत कम राशि ही जमा की। इसके बाद 11 दिसंबर 2019 को निवेशक निलंबित किया गया और 18 जुलाई 2020 को अनुबंध निरस्त कर दिया गया। बावजूद इसके, एमपीआरडीसी ने 12 दिसंबर 2019 से टोल वसूलना शुरू कर दिया, जबकि राजपत्र में इसकी अधिसूचना प्रकाशित नहीं हुई। पारस सकलेचा ने अपने पत्र में लिखा है कि यह कार्रवाई इंडियन टोल एक्ट 1851 और अनुबंध नियमों के खिलाफ है। उन्होंने मांग की है कि भोपाल बाईपास पर एमपीआरडीसी द्वारा अवैध टोल वसूली तुरंत बंद की जाए। नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए। 12 दिसंबर 2019 से वसूला गया सारा टोल वापस किया जाए।
पत्र में बताया गया है कि मार्ग निर्माण पर पूरी लागत निवेशक द्वारा दी गई थी और सरकार ने एक भी रुपया खर्च नहीं किया। अनुबंध की धारा 31 के अनुसार वसूली गई राशि पूरी तरह ईस्क्रू खाते में जमा करनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एमपीआरडीसी ने बिना राजपत्र अधिसूचना के टोल वसूलना शुरू कर दिया, जो पारदर्शिता और कानून के विपरीत है।
बिना अधिसूचना वसूली गंभीर अपराध
विशेषज्ञों के अनुसार, सड़क जनता की संपत्ति है और उस पर की गई अवैध वसूली गंभीर अपराध मानी जाएगी। पारस सकलेचा ने पत्र में चेतावनी दी कि नियमों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है, ताकि जनता का धन सुरक्षित रहे। पूर्व विधायक ने कहा कि राजपत्र में अधिसूचना प्रकाशित किए बिना टोल वसूली करना और जनता का धन लेना गंभीर अपराध है। जिम्मेदारों पर तुरंत कार्यवाही होनी चाहिए। इस पत्र के माध्यम से सरकार और एमपीआरडीसी को साफ संदेश दिया गया है कि जनता के अधिकार और कानून के नियमों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।