न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by:
पवन पांडेय Updated Tue, 02 Dec 2025 11:21 PM IST
Putin India Visit: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से पहले यूरोपीय देशों के राजनयिकों की तरफ से एक लेख लिखा गया है। जिसमें पुतिन पर कई आरोप लगाए गए हैं, वहीं इस पर भारतीय अधिकारियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भारतीय अधिकारियों ने इसे 'असामान्य और अनुचित राजनयिक व्यवहार' बताया है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस हफ्ते दो दिन की भारत यात्रा पर आने वाले हैं और इस यात्रा के दौरान भारत और रूस कई अहम समझौते कर सकते हैं। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, ये समझौते व्यापार, स्वास्थ्य, कृषि, संस्कृति और श्रमिक गतिशीलता समेत कई क्षेत्रों में होंगे। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच मोबिलिटी समझौता होने की संभावना है, जिससे भारतीय कामगारों को रूस में रोजगार पाने में आसानी होगी। इस समझौते में भर्ती की शर्तों और प्रक्रिया का भी उल्लेख होगा।
व्यापार और रक्षा पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच होने वाली वार्ता में व्यापार बढ़ाने और रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा होगी। भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक से कई महत्वपूर्ण नतीजे सामने आने की उम्मीद है। भारत का रूस से सालाना आयात लगभग 65 अरब डॉलर है, जबकि निर्यात केवल पांच अरब डॉलर के आसपास है। इस बड़े व्यापार असंतुलन को देखते हुए भारत, रूस को औषधियां, कृषि उत्पाद, प्रोसेस्ड फूड और उपभोक्ता वस्तुओं का निर्यात बढ़ाना चाहता है। यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति
अधिकारियों ने बताया कि बैठक के दौरान यूक्रेन संघर्ष पर भी बातचीत होगी। भारत ने एक बार फिर कहा कि 'यह युद्ध मैदान में नहीं, बल्कि बातचीत और कूटनीति से ही खत्म हो सकता है।' भारत ने यह भी कहा कि किसी भी शांति प्रयास का समर्थन किया जाएगा, बशर्ते वह संवाद और युद्ध विराम की दिशा में हो।
यूरोपीय राजनयिकों के लेख पर नाराजगी
फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के राजदूतों की तरफ से एक भारतीय अखबार में लिखे गए लेख पर भारत ने आपत्ति जताई है। उस लेख में पुतिन की आलोचना की गई थी और उन पर शांति प्रयासों को रोकने का आरोप लगाया गया था। भारतीय अधिकारियों ने इसे 'असामान्य और अनुचित राजनयिक व्यवहार' बताया।
संभावित समझौते और रूसी तेल आयात में गिरावट
अधिकारियों के अनुसार दोनों देश उर्वरक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, अकादमिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान, कृषि साझेदारी और यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने पर चर्चा करेंगे। रूस हर साल भारत को लगभग तीन से चार मिलियन टन उर्वरक सप्लाई करता है। हाल के अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत की तरफ से रूसी कच्चे तेल की खरीद में कमी आई है। इस पर अधिकारियों ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय बाजार और कीमतों पर निर्भर करता है।