अब नहीं होगी पार्षदों की 'हॉर्स ट्रेडिंग'... जनता सीधे चुनेगी नगर पालिका और परिषद अध्यक्ष, विधेयक पारित

प्रदेश में अब नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्षों के चुनाव नगर निगम महापौर की तरह प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे। विधानसभा में मंगलवार को इस आशय का मध्य प्रदेश नगरपालिका संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया।

By Digital Desk  Edited By: ADITYA KUMAR   Publish Date: Tue, 02 Dec 2025 08:36:50 PM (IST)
Updated Date: Tue, 02 Dec 2025 08:36:50 PM (IST)

राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। प्रदेश में अब नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्षों के चुनाव नगर निगम महापौर की तरह प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे। विधानसभा में मंगलवार को इस आशय का मध्य प्रदेश नगरपालिका संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि कोरोना महामारी के समय नगर पालिका और परिषद में अध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से पार्षदों के माध्यम से कराने का प्रविधान किया गया था। वर्ष 2022 में चुनाव इसी प्रणाली से हुए

अप्रत्यक्ष प्रणाली की चुनौतियां और संशोधन का कारण

इसके बाद से यह बात सामने आई कि पार्षदों के दबाव में अध्यक्ष स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पा रहे हैं। इसे देखते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया को थोड़ा कठिन किया गया। पहले ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने पर दो-तिहाई पार्षद अविश्वास प्रस्ताव ला सकते थे। इसमें संशोधन करके अवधि तीन वर्ष और पार्षदों की संख्या तीन-चौथाई की गई। इसके बाद भी महसूस किया गया कि अध्यक्ष की चुनाव प्रणाली हार्स ट्रेडिंग यानी पार्षदों के खरीद-फरोख्त को प्रोत्साहित करने वाली है इसलिए तय किया गया कि अध्यक्ष का चुनाव सीधे मतदाता करें। इससे प्रजातंत्र की पहली सीढ़ी के चुनाव में पवित्रता रहेगी और बल-धन का प्रयोग भी नहीं होगा। हार्स ट्रेडिंग सभी जगह होती है। राजनीति की पवित्रता दूषित हुई है। हम सबकी जिम्मेदारी है इसे खत्म करने की। सत्ता पक्ष से विधायक ओमप्रकाश सकलेचा और शैलेंद्र जैन ने संशोधन विधेयक का समर्थन किया

'राइट टू रिकॉल' (Right to Recall) की व्यवस्था होगी बहाल

अध्यक्ष पर पार्षदों का दबाव न रहे, इसके लिए अब अध्यक्ष का चुनाव सीधे मतदाता के माध्यम से कराया जाएगा। इससे पार्षदों की हार्स ट्रेडिंग भी रुकेगी। अध्यक्ष निरंकुश न हो जाएं, इसलिए राइट टू रिकाल की व्यवस्था भी रहेगी यानी अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। अविश्वास की स्थिति में चुनाव से तीन वर्ष बाद तीन-चौथाई पार्षद प्रस्ताव कलेक्टर को देंगे। कलेक्टर आरोप सही पाते हैं तो प्रस्ताव शासन को भेजेंगे और यहां से राज्य निर्वाचन आयोग को 'खाली कुर्सी-भरी कुर्सी' का चुनाव यानी अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन के लिए चुनाव कराने के लिए भेजा जाएगा। यदि पचास प्रतिशत से अधिक मतदाता खाली कुर्सी के पक्ष में मतदान करते हैं तो अध्यक्ष को हटा दिया जाएगा और आयोग फिर तय करेगा कि शेष अवधि के लिए चुनाव कराना है या नहीं।

कांग्रेस की मांग : अन्य स्थानीय चुनावों में भी हो प्रत्यक्ष प्रणाली

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, जयवर्धन सिंह, फूल सिंह बरैया, भंवरसिंह सिंह शेखावत ने कहा कि जिला, जनपद और मंडी चुनाव में भी प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव की व्यवस्था होनी चाहिए। निर्वाचित अध्यक्ष को पांच वर्ष काम करने का अवसर मिलना चाहिए। उसने ठीक काम किया या नहीं, यह फिर जनता तय करेगी। वापस बुलाने की व्यवस्था नहीं रखना चाहिए क्योंकि तीन साल बाद फिर अध्यक्ष के सिर पर अविश्वास की तलवार लटकने लगेगी।


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