संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत के साथ ही सरकार की नीतियों और सत्ताधारी खेमे- NDA की नीयत का विरोध करने वाली आवाजें बुलंद होती दिख रही हैं। राज्यसभा में पूर्व उपराष्ट्रपति और सदन के पीठासीन सभापति रहे जगदीप धनखड़ का जिक्र हुआ। विपक्षी खेमे के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति राधाकृष्णन से दोनों पक्षों के साथ इंसाफ करने की अपील की। खरगे ने पीठासीन सभापति का अभिनंदन करते हुए अपने वक्तव्य में कहा, 'कांग्रेस सांविधानिक मूल्यों और संसदीय परंपराओं के साथ दृढ़ता से खड़ी है।' उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही का निष्पक्ष संचालन, प्रत्येक पक्ष के सदस्यों को उचित अवसर प्रदान करना, सभापति के कार्यालय की विश्वसनीयता के लिए जरूरी है।
खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि वे बाद में उनकी बातों का जवाब देंगे। उन्होंने कहा, 'मैं आपके पूर्ववर्ती सभापति के पद से अप्रत्याशित और अचानक हटने का उल्लेख करने के लिए बाध्य हूं, जो संसदीय इतिहास में अभूतपूर्व है... सदन के संरक्षक के रूप में राज्यसभा के सभापति, सरकार के साथ-साथ विपक्ष के भी उतने ही हैं।' उनकी टिप्पणी पर सभापति सीपी राधाकृष्णन ने कहा, 'कार्यवाही के संचालन में हमारे सहयोग के प्रति आश्वस्त रहें।' बता दें कि धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इसी साल 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। लंबे समय तक मीडिया से दूर रहे धनखड़ हाल ही में चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति सूर्यकांत के शपथ ग्रहण समारोह में देखे गए थे।
राधाकृष्णन से बोले खरगे- सफल कार्यकाल की कामना, लेकिन...
राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष खरगे ने कहा, 'मुझे इस बात का दुःख है कि इस सदन को उन्हें विदाई देने का अवसर नहीं मिला।' उन्होंने कहा, राधाकृष्णन तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके सीके कुप्पुस्वामी के रिश्तेदार हैं, जो कभी कांग्रेस सदस्य थे। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कई दशकों से राजनीति में सक्रिय वरिष्ठ नेता खरगे ने राधाकृष्णन से कहा, 'बेहतर होगा कि आप दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखें। मैं आपके सफल कार्यकाल की कामना करता हूं...आप जिस पृष्ठभूमि से आते हैं, उसका जिक्र प्रधानमंत्री ने किया, लेकिन आपको यह भी नहीं भूलना चाहिए कि आप एक कांग्रेसी परिवार से हैं।' सत्ताधारी खेमे ने खरगे को आड़े हाथ लिया
मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में धनखड़ के 'अचानक' पद छोड़ने और इस्तीफे वाले घटनाक्रम का जिक्र किया तो सत्ता पक्ष ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने नए सभापति के पहले दिन स्वागत किए जाने जैसे 'गंभीर अवसर' पर धनखड़ के इस्तीफे का उल्लेख करने के लिए विपक्ष के नेता की आलोचना करते हुए कहा, 'यह बहुत ही गंभीर अवसर है... प्रधानमंत्री ने सम्मान समारोह के दौरान बहुत ही गरिमापूर्ण टिप्पणी की है... माननीय विपक्ष के नेता ने ऐसे मामले का उल्लेख क्यों किया जिसे इस समय उठाना आवश्यक नहीं था।'
पूर्व चेयरमैन के लिए बोली गई भाषा पर सवाल, अपमान करने का आरोप
रिजिजू ने खरगे से कहा, 'आपने पूर्व चेयरमैन के लिए जैसी भाषा का प्रयोग किया, जिस तरह से आपने उनका अपमान किया, आपने जो प्रस्ताव पेश किया, उसकी प्रति अभी भी हमारे पास है।' संसदीय कार्यमंत्री रिजिजू विपक्षी दलों के उस प्रस्ताव का उल्लेख कर रहे थे, जो पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ को हटाने के लिए पेश किया गया था। आपत्ति दर्ज कराने वाले राज्यसभा सदस्यों में सदन के नेता जेपी नड्डा भी शामिल रहे। हस्तक्षेप करते हुए उन्होंने सदस्यों से अवसर की गरिमा बनाए रखने की अपील की।
विपक्ष धनखड़ खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया
नड्डा ने हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सहित विपक्षी गठबंधन को मिली हार का जिक्र करते हुए कहा, विपक्ष के नेता ने जो मुद्दा उठाया है, अगर हम उस पर चर्चा शुरू करते हैं, तो यह अप्रासंगिक होगा... हमें यह भी उल्लेख करना होगा कि आप उनके (धनखड़) खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। खरगे की टिप्पणी को उन्होंने अच्छे और सौहार्दपूर्ण वातावरण में चल रही बहस में बाधा बताया।
पीएम मोदी की टिप्पणी का भी उल्लेख हुआ
सदन के नेता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री नड्डा ने संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ठीक पहले दिए गए प्रधानमंत्री मोदी के बयान का जिक्र करते हुए खरगे से कहा, 'पीएम मोदी ने संसद परिसर में कहा, उसके बारे में बात करें तो... बिहार और हरियाणा की हार से आपको बहुत दुख हुआ होगा... समय आने पर इसके बारे में बोलिएगा।' बता दें कि संसद की कार्यवाही से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विपक्ष बिहार में चुनावी हार से परेशान है और अपनी विफलता को पचा नहीं पा रहा है।