वादा रहा अधूरा, 75 हजार अतिथि शिक्षक हुए बेरोजगार

अतिथि शिक्षकों ने कहा वादा पूरा करे सरकार, सेवाएं रखे जारी

भोपाल। अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार ने अतिथि शिक्षकों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई घोषणाएं अधूरी रह गई है। इसके चलते प्रदेश के 75 हजार अतिथि शिक्षक बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री डा मोहन यादव से मांग की है कि सरकार अपना वादा पूरा करे और अतिथि शिक्षकों की सेवाएं जारी रखी जाएं।
मध्यप्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2 सितंबर 2023 को अतिथि शिक्षक पंचायत आयोजित कर भविष्य सुरक्षित करने का वचन दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री की घोषणा अनुसार अतिथि शिक्षकों की विभागीय पात्रता परीक्षा आयोजित कर नीति बनाकर भविष्य सुरक्षित करने, अनुबंध के तहत बेरोजगार नहीं करने, सीधी भर्ती में पचास प्रतिशत आरक्षण और अधिकतम 20 अंक बोनस के देने की घोषणा की थी। जिन पर आज दिनांक तक अमल नहीं हुआ है। जबकि प्रदेश के हजारों अतिथि शिक्षक सैकड़ों बार मुख्यमंत्री,शिक्षा मंत्री  और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को ज्ञापन दे चुके हैं।
अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार ने मुख्यमंत्री से अतिथि शिक्षकों का सेवाकाल जारी रखने की मांग की है। निर्वाचन आयोग के अनुसार लोकसभा चुनाव में अतिथि शिक्षकों की विशेष पुलिस अधिकारी के रूप में ड्यूटी लगाई जाए। सरकार अपना वादा पूरा करे। संगठन के संस्थापक  पी डी खैरवार ने बताया है कि अन्य राज्यों ने अतिथि शिक्षकों के हित में नीति बनाकर भविष्य सुरक्षित किया है। भले ही उनको नियमित नहीं किया हो पर उनको बेरोजगार नहीं किया जाता। ऐसे अनेक कर्मचारी हैं जो नियमित नहीं हैं, लेकिन उनका सेवाकाल 12 माह का होता है। सरकार सेवाकाल जारी रखते हुए शीघ्र नीति बनाए।
कांग्रेस ने कहा आदेश वापस ले सरकार
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने इस निर्देश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि भाजपा सरकार अगर रोजगार नहीं दे सकती तो कम से कम छीनने का काम ना करें, अन्यथा प्रदेश में ही कई लाख नये लोग 5 किलो राशन की सूची में जुड़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस पत्र से यह आशय निकाला जा रहा है कि लगभग 70 हजार से अधिक अतिथि शिक्षक अब सड़क पर आ जाएंगे । लोकसभा चुनाव के चलते जो भाजपा रोजगार देने का वादा कर रही है वहीं इसके उलट चुनाव चलते हुए भी लोगों का रोजगार छीनने में संकोच नहीं कर रही है।

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