MP Lok Sabha Election 2024: ग्वालियर-चंबल में नरेन्द्र सिंह तोमर तो मालवांचल में कैलाश विजयवर्गीय की प्रतिष्ठा दांव पर

मध्य प्रदेश लोकसभा चुनाव 2024 : अपने-अपने अंचल में दोनों नताओं की अच्छी पकड़, अपने करीबियों को टिकट दिलवाने में भी सफल रहे।

By Prashant Pandey Edited By: Prashant Pandey Publish Date: Wed, 01 May 2024 03:18 PM (IST) Updated Date: Wed, 01 May 2024 03:37 PM (IST)

कैलाश विजयवर्गीय और नरेन्द्र सिंह तोमर।

HighLights

  1. कैलाश विजयवर्गीय को भाजपा में अच्छे रणनीतिकार के तौर पर देखा जाता है।
  2. छिंदवाड़ा में भाजपा को जिताने की जिम्मेदारी भी पार्टी ने उन्हें दी थी।
  3. कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम को भाजपा में लाने में उनकी बड़ी भूमिका रही।

MP Lok Sabha Election 2024: राज्य ब्यूरो, नईदुनिया. भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और राषट्रीय महासचिव रहे कैलाश विजयवर्गीय दो ऐसे नाम हैं जिनकी राष्ट्रीय राजनीति के साथ प्रदेश की राजनीति में भी अच्छी पकड़ है। खासकर तोमर की ग्वालियर-चंबर अंचल तो विजयवर्गीय मालवांचल के सबसे बड़े नेता हैं। अब दोनों भले ही प्रदेश सरकार में हैं, पर अपने-अपने अंचल में भाजपा की न सिर्फ जीत बल्कि जीत का अंतर उनके लिए मायने रख

कारण, राष्ट्रीय नेतृत्व की नजर में उनका अपने-अपने अंचल में अच्छा प्रभाव है। यह भी माना जा रहा है कि उन्होंने अपने समर्थकों को टिकट भी दिलवाएं हैं, इसलिए उन्हें अच्छे मतों से जिताने की जिम्मेदारी भी उनकी बनती है। तोमर अभी विधानसभा अध्यक्ष और विजयवर्गीय कैबिनेट मंत्री हैं।

मुरैना जिले की विजयपुर सीट से छह बार के विधायक राम निवास रावत के 30 अप्रैल को और इसके पहले कुछ और नेताओं को भाजपा में लाने के पीछे तोमर की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। उधर, कैलाश विजयवर्गीय को भाजपा में अच्छे रणनीतिकार के तौर पर देखा जाता है।

वह बंगाल के प्रभारी भी रहे हैं। छिंदवाड़ा में भाजपा को जिताने की जिम्मेदारी भी पार्टी ने उन्हें दी थी। छिंदवाड़ा में चुनाव होने के बाद वह पूरी तरह से मालवांचल में सक्रिय हो गए हैं। इंदौर के कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम को भाजपा में लाने में उनकी बड़ी भूमिका रही।

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मुरैना से पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरे शिवमंगल सिंह तोमर, ग्वालियर से भारत सिंह कुशवाह और भिंड की प्रत्याशी संध्या राय नरेन्द्र सिंह तोमर के करीबी हैं। इन्हें टिकट दिलवाने में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है। भारत सिंह कुशवाह पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे, पर लोकसभा का टिकट पाने में सफल रहे। भिंड से लोकसभा सदस्य संध्या राय को फिर टिकट मिलने में असमंजस था, पर पार्टी ने फिर उन पर भरोसा जताया।

गुना से भाजपा के कद्दावर नेता और केद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले बार वह कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर यहां से हारे थे। इस कारण यह सीट भी भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में चारों सीटों को लेकर उनकी बड़ी जिम्मेदारी बन गई है। वह जनसभाओं में भी जा रहे हैं। इस अंचल की सीटों पर सात मई को मतदान होना है।

तोमर इस क्षेत्र में छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय हैं। पहले ऐसे नेता हैं जो पार्षद से केंद्रीय मंत्री तक पहुंचे। दो बार मुरैना से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए हैं, पर पूरे अंचल में सक्रियता रही है। यहां भाजपा के लिए चुनौती यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में मुरैना की आठ में पांच, भिंड की आठ में चार, ग्वालियर की आठ में चार सीटों पर कांग्रेस जीती थी। गुना की आठ में से छह सीटें भाजपा और दो कांग्रेस ने जीती थी।

मालवांचल की आठ सीटों पर विजयवर्गीय और मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव लगा रहे ताक

केंद्रीय राजनीति में रहने के दौरान भी विजयवर्गीय इस क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। विधानसभा चुनाव में भी इस अंचल में अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने और जिताने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। विधानसभा चुनाव के पहले यहां के कांग्रेस नेताओं को भाजपा में लाने के पीछे भी उनका हाथ रहा।

इस अंचल में कुल आठ सीटें

देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, धार, इंदौर, खरगौन और खंडवा हैं। यहां 13 मई को मतदान होना है। विजयवर्गीय के लिए चुनौती यह है कि विधानसभा चुनाव में खरगोन और धार लोकसभा सीट की आठ-आठ में से पांच-पांस सीटें कांग्रेस ने जीती थी। रतलाम में बराबर की स्थित रही। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव भी इसी अंचल में उज्जैन से हैं। ऐसे में अब उनका ध्यान भी पूरे प्रदेश के साथ इस अंचल पर अधिक है।


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