राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल : पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार प्रदेश में कम मतदान को भाजपा अपने लिए लाभप्रद मान रही है। पार्टी का तर्क है कि उनके कार्यकर्ताओं ने अपने मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचाया, इसलिए उनके मत कम होने का प्रश्न ही नहीं है। कांग्रेस को कई बूथ पर एजेंट ही नहीं मिले, ऐसे में जो मत प्रतिशत घटा है, वह कांग्रेस के वोट थे। पार्टी का दूसरा बड़ा तर्क यह है कि छिंदवाड़ा सहित जिन सीटों पर दोनों दलों के प्रत्याशी मजबूत थे, वहां मतदान प्रतिशत अपेक्षाकृत अच्छा रहा है।
बता दें कि पहले चरण के चुनाव में सबसे कम सीधी में 56.50 प्रतिशत और दूसरे चरण में सबसे कम रीवा में 49.42 प्रतिशत मतदान हुआ। भाजपा इसलिए भी अपने को मजबूत बता रही है कि इस चुनाव में मत प्रतिशत भले ही कम हुआ, पर मत कम नहीं हुए है।
उनका तर्क है कि पार्टी को जितने मतदाताओं ने पिछले चुनाव में मत दिया था, इस बार भी उन्होंने पार्टी के पक्ष में मतदान किया है। उनके मतदाताओं में कोई बदलाव नहीं आया है। उधर, कांग्रेस इन तर्कों से सहमत नहीं है। उसका कहना है कि 2023 में दी गई गारंटियां पूरी नहीं करने से लोग नाराज हैं, इस कारण मतदान करने नहीं गए। अब यह चार जून का परिणाम आने के बाद सामने आएगा कि मतदान घटने का असर किस दल पर कैसा पड़ा है।
पहले चरण की छह सीटों सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा में वर्ष 2019 में औसत मतदान 75.23 प्रतिशत हुआ था, जो इस बार 67.75 रहा, यानी 7.48 प्रतिशत की गिरावट आई। दूसरे चरण की छह सीटें रीवा, सतना, खजुराहो, दमोह, टीकमगढ़ और होशंगाबाद में इस चुनाव में औसत मतदान 58.59 प्रतिशत हुआ, जबकि 2019 में प्रतिशत 67.65 प्रतिशत था, यानी 9.06 प्रतिशत की गिरावट आई।